Monday, April 28, 2008

महाराष्ट्र स्थापना दिवस

महाराष्ट्र स्थापना दिवस


एक मई १९६० को महाराष्ट्र प्रथक राज्य बना

महाराष्ट्र का इतिहास काफी पुराना है। इसके लिखित इतिहास के अनुसार सबसे पहले इस राज्य में सातावाहन राजवंश और उसके बाद वाकाटक वंश का राज्य रहा है। इसके पश्चात इस क्षेत्र पर कलचुरी, चालुक्य, यादव, दिल्ली के खिलजी और बहमिनी वशों ने शासन किया। इसके बाद केंद्रीय सत्ता बिखरकर छोटी-छोटी सल्त्नतों में बदल गई।

सत्रहवीं शताब्दी में शिवा जी के प्रभावशाली बनने के बाद आधुनिक मराठा राज्य का उदय हुआ। शिवाजी ने बिखरी ताकतों को एकजुट कर शक्तिशाली सैन्य बल का संगठन किया। इस सेना की मदद से मुग़लों को दक्षिण के पत्थर से आगे बढ़ने से रोका । लेकिन, शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा शक्ति बिखरने लगी। शिवाजी के उत्तराधिकारियों की विफलता के कारण पेशावओं ने सत्ता पर अधिकार कर लिया। सन 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद मराठा शक्ति पूरी तरह से बिखर गई। अंततः 1818 तक अंग्रेजों ने सम्पूर्ण मराठा क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। फिर से 1875 में नाना साहब के सैनिकों ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गाँधी और तिलक ने महाराष्ट्र के लोगों को सक्षम नेत्रत्व प्रादन किया। स्वंत्रता प्राप्ति के बाद बम्बई प्रान्त में महाराष्ट्र और गुजरात शामिल थे। बाद में बम्बई पुनर्गठन अधिनियम १९६० के अंतर्गत एक मई १९६० को इस सम्मलित प्रान्त को महाराष्ट्र और गुजरात नामक दो प्रथक राज्यों में बाँट दिया गया। पुराने बम्बई राज्य की राजधानी नए महाराष्ट्र राज्य की राजधानी बन गई। सन १९९५ में बम्बई का नाम बदलकर मुम्बई कर दिया गया।

अगर महाराष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र में नजर डालें तो महाराष्ट्र देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। राज्य के पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में कर्नाटक दक्षिण पूर्व में आंध्र प्रदेश और गोवा , उत्तर पशिम में गुजरात और उत्तर में मध्य प्रदेश स्थित है। महाराष्ट्र का तटीय मैदानी भाग कोंकण कहलाता है। कोंकण के पूर्व में सह्याद्री की पड़ी श्रंखला सागर के समांतर स्थित है। आज महाराष्ट्र में विधान सभा की सीटें २८८, विधान परिषद् की सीटें ७८ ,लोकसभा की सीटें ४८ ,और राज्य सभा की १९ सीटें हैं। और महाराष्ट्र में ३५ जिले है।

अब अगर वर्तमान राजनीतिक बात करें तो महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाने पर हमेश बवाल उठता है। इसी वज़ह से उत्तर भारतीयों ने महाराष्ट्र सथापना दिवस मनाने का फैसला भी किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड के सांस्कृतिक मंच ने महाराष्ट्र सथापना दिवस मनाने का फैसला किया है। जाहिर है इस कार्यक्रम से मराठी और गैर मराठियों में बढ़ रही खाई कम होने की उम्मीद जताई जा सकती है।

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