Saturday, May 17, 2008

अमेरिकी खाते कम फेंकते ज्यादा हैं

अभी कुछ दिनों पहले भारतीय थाली में बुश साहब को ,मिर्ची लग गयी थी। वो तोगनीमत रही कि बुश साहब को पता नहीं था कि हिंदुस्तान का इतिहास ५६ भोग और ३६ प्रकार के व्योंजनों से पटा पड़ा हैं। अगर कहीं इस बात का पता होता तो बुश साहब का चेहरा जाने कब का लाल हो गया होता। खैर जो भी हो,मैं उस देश की बात कर रहा हूँ जिस देश को महंगाई मर रही है। और विदेशियों को सब कुछ सस्ता लगता है। हम क्या खाते हैं?क्या पीते हैं ? बुश साहब अपने चछु से बगैर देखे ही दे डाले हैं। कहीं वो आम हिन्दुस्तानी की थाली देखते तो शायद ये बयान नहीं आता। क्योंकि ऐसा बयान देने के पहले उन्हें अपने गिरेबान में झांक कर देखना पड़ता। बुश ने उस देश को खाता पीता करार दिया है जिसकी आधे से ज्यादा आबादी भूख से दम तोड़ती है। आज भी ऐसी आबादी है जो खाने की थाली का भोजन फेंक देते हैं, और कुछ लोग जूठन खाने के लिए मजबूर रहते हैं.वो आबादी भी कम नहीं है जो लंगर के भरोसे जी रही है। लेकिन शायद बुश साहब ऐसी हकीकत से कोसों दूर हैं। और बिना नापा तुला बयान भारतीय थाली में परोस दिया।
लेकिन बुश साहब आप और आपकी सेना ज्यादा खाना खा नहीं पातीऔर फेंकने में भरोसा करती है। ऐसे में अगर हम अच्छा खाते हैं तो फ़िर मिर्ची आपको क्यों लग रही है। जबकि हम तो मिर्ची और गुलाब जामुन एक साथ एक ही थाली में खाते हैं।
अभी हल ही में अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य तथा कृषि संगठन और अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अमेरिका में ४८.३ अरब डोलर यानी तकरीबन १९ ख़राब रुपये मूल्य का खाना हर साल कूड़े में फेंक दिया जाता है। यह कुल भोजन का तीस फीसदी है। अब ये रिपोर्ट उस समय आयी है जब बुश को भारतीय थाली रास नहीं आयी है। और जब पूरी दुनिया खाद्य संकट और महंगाई की मर से जूझ रही है। टैब ये रिपोर्ट और तड़का लगा रही है। रिपोर्ट में विस्तार से समझते हुए लिखा गया है कि अमेरिका ब्रिटेन जैसे देश इस मामले में सबसे आगे है। ऐसे में खाद्य पदार्थों की बर्बादी का मतलब है कि पानी की बर्बादी। और ये मश्ले को और गंभीर बना देती है।क्योंकि दुनिया में पानी की घोर किल्लत होने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिका का तीस फीसदी भोजन बर्बाद करता है, तो वह ४० खरब लीटर पानी बेकार बहने के बराबर है। इतना पानी पचास करोड़ लोगों के घरेलु जरूरतों को पूरा कराने के लिए पर्याप्त है।
अब तो उम्मीद करना होगा कि ये रिपोर्ट बुश के ज्ञान चछू खोलेगी , और बुश साहब के देखने और समझने में फेरबदल होगा।

Tuesday, May 6, 2008

स्वच्छ मुम्बई गंधाती मुम्बई

मुम्बई मनपा शहर को साफ सुथरा बनने के लिए सालाना एक हज़ार करोड़ रुपये फूंकती है। लेकिन सफ़ाई के नाम पर स्वच्छ मुम्बई हरित मुम्बई का नारा केवल कचाडा धोने वाली गाड़ियों में मिलेगा। या फ़िर ज़बान में मिलेगा। रही सही कसार मुम्बई में कचाडा ढोने वाली गाडियाँ गंधने में काफी सहयोग कर रही हैं।
मुम्बई मनपा का घन कचाडा विभाग रोजाना ७५०० मीट्रिक तन कचाडा उठाने का कम करता है। छः हज़ार कलेक्शन सेंटरों में ४६६ गाडियाँ मनपाऔर ६७३ गाड़ियों के जरिये से कचाडा उठाना निजी ठेकेदारों की है। जिसे देवनार, मुलुंड गोरे के डंपिंग ग्रौंद में दोंप किया जाता है। मनपा के रेकॉर्ड में १८०० से १९०० किलोमीटर सडकों की सुरक्षा की जाती हैं। साल २००६ - ०७ के बज़टमें ८९८ करोड़ रुपये मनपा ने कचाडा उठाने के लिए प्रावधान किए हैं। मुम्बई मनपा के वार्ड कार्यालय के अंतर्गत सहायक अभियंता और मुख्य अवेक्षक वार्ड स्तिरीय स्वच्छ पर नियंत्रण रखते हैं। अब सवाल ये उठता हैं की इतनी बड़ी यंत्रणा इतनी मोटी रकम और इतना स्टॉक होते हुए आखिर मुम्बई क्यों बदबूदार हो रही हैं।
शहर और उपनगरों में कचाडा ढोकर दौड़ने वाली गाडियाँ अपनी बदबू से स्वच्छ मुम्बई गंधाती मुम्बई का नारा दे रहीं हैं। कचाडा गाड़ी के इर्द - गिर्द बस , कार , टैक्सी या रिक्शा खड़ा होते ही यात्रियों को अपना रुमाल निकालकर नाक पर रखना पड़ता है। सिग्नल पर ट्राफिक में कचाडा गाड़ी का पड़ोसी होना सबसे बैडलकमाना जाता हैं। यह हुयी मुम्बई वाहन चालकों की कहानी। सडकों पर चलने वाले भी इन कचाडा गाड़ियों से काफी परेशां हैं। ठंड हवाओं के बीच गाड़ी से निकलने वाली बदबू मौसम का किरकिरा कर देती है। मनपा कालेक्टिन सेंटर के आस - पास रहने वाले लोग दुकानदार अपनी किस्मत को कोसते हैं। सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल इन लोगों के लिए एक अमूल्य उपहार होती है।
मुम्बई मनपा के इसके अलावा दत्तक बस्ती योजना के जरिये स्वच्छता को बरकरार रखने का अलाप रागति है॥ पूरे शहर और उपनगर में २५० बस्ती संस्थाएं मनपा का ६० करोड़ रुपये सालाना दकारती हैं।और संस्थाये रोजी -रोटी कमती हैं। अधिकांश दत्तक बस्ती संस्थाये नगर सेवकों की प्राइवेट प्रापर्टी है, या फ़िर उनका कोई चमचा उसका संचालक है। " नया भिडू नया राज "के कारन नगर सेवक बदलते ही पुरानी संस्थाएं विश्र्जित होकर नयी संस्थायों का पुनर्जन्म होता है। मनापा अधिकारी, नगर सेवक और संस्था का त्रिगुट दिन दहाड़े लूटपाट कर रहा है। लेकिन उसकी ४० फीसदी से भी कम रकम उन मजदूरों को दी जाती है। जो १२ घंटे काम करते हैं। एकाध महीने पेमेंट मिलने पर देरी होने पर महापौर से लेकर नगर सेवक तक गुहार लगाती हैं। दत्तक बस्ती योजना के जरिये गली कूचे का कचाडा मनपा के कालेक्टों सेंटर तक लाया जाता है। और फ़िर मनपा उसे ढोकर डंपिंग ग्रौंद तक ले जाती है। यहाँ पर कचाडा ढोने का इतना विचित्र समय है की पूरी मुम्बई की जनता को पता चल जाता है की मुम्बई स्वच्छ हो रही है। क्योंकि कचाडा गाड़ी घंटों ट्राफिक जाम का कारन बनती है।
स्वच्छ मुम्बई सुंदर मुम्बई का नारा कागजों पर सिमटने से सडकों को स्वच्छ युक्त देखना किसी सपने से कम नहीं है। रोजाना कचाडा गाड़ियों से आने वाली बदबू से मुम्बई गंधने से रोकने के लिए कचाडा ढोने का समय निश्चित किया जाना चाहिए। नहीं टू स्वच्छ मुम्बई गंधाती मुम्बई का नारा लोगों की ज़बान रहेगा साथ ही ही दिलो दिमाग पर भी छाया रहेगा.....

मुम्बई में बहुरेंगे ट्राम के दिन

मुम्बई की भागती, दौड़ती, हांफती ज़िंदगी अब फ़िर से अतीत को याद कर सकती है। जिस शहर के लोगों ने ९० साल तक ट्राम में सफर किया हो, अब उसी शहर को फ़िर से ट्राम का लुत्फ़ मिल सकता है। ऐसे में बीते ज़माने की बन चुकी ट्राम एक बार फ़िर सर मुम्बई की सडकों में दौड़ सकती है। हालांकि अभी ये योजना अपने शुरुवाती दौर में है। मुम्बई में तेज़ी से बढ़ती आबादी की वजह से यहाँ यातायात की समस्या भयानक होती जा रही है। इसके समाधान के लिए शुरू की गई मास रैपित त्रंजिस्त सिस्टम के तहत वर्सोवा- अँधेरी - घाटकोपर क्षेत्र में ट्राम चलने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए कोल्कता में चल रहे ट्राम का अध्धयन कराने के लिए मुम्बई से टीम भी गयी थी। जिसमे ये पता चला की कोलकाता की तरह मुम्बई में ट्राम नहीं चलाई जा सकती है। ये काफ़ी पुरानी है। और घटे में चल रही है।
ऐसे में अब ये कहा जा रहा है की यूरोपीय देशों में चलने वाली आधुनिक ट्रामों की तर्ज़ में चलाया जा सकता है। दुनिया के कई देशों में आज भे ट्राम लोगों को उनके मंजिल तक पहुंचा रही है। मेट्रो के अलावा मुम्बैकारों को अब ट्राम का भी इंतजार रहेगा। मुम्बई में ट्राम शुरू कराने का प्रारूप ऍम ऍम आर डी ऐ ने किया है , जिसको अमली जामा पहनाने का काम ऍम आर टी एस को करना है। यदि ये योजना लागू हो पाई तो ४० साल बाद मुम्बई में फ़िर से ट्राम की वापसी होगी। ट्राम के चलने में जहाँ खर्च कम आता है तो वहीं प्रदूषण से भी निजात मिल सकती है।
अब वैसे तो ट्राम मुम्बई के अलावा कानपूर, नाशिक और चेन्नई जैसे शहरों में यात्रा का मुख्य साधन हुआ करती थी। मुम्बई में १८७४ में बिटिश शाशन के दौरान ट्राम की शुरुआत हुई थी। शुरुआत में ट्राम घोडों के जरिये चलाई जाती थी। इसके बाद १९०५ में घोडों से चलने वाली ट्राम की विदाई हो गयी। और १९०७ में एलेत्रनिक ट्राम की शुरुवात हुई। धीरे - धीरे ट्राम में यात्रियों की तादाद बढ़ गई। टैब १९२० में डबल देकर टर्म चलने लगी। लेकिन बाद में ट्राम का चलना मुश्किल हो गया ॥ और १९६४ में मुम्बई से ट्राम की विदाई हो गई ॥ इस तरह से मुम्बई के लोगों ने 90 सालों तक ट्राम की सवारी की। .........

Friday, May 2, 2008

बनारस के अस्सी घाट में विशाल भंडारा

ब्रम्हार्शी श्री देवरहा भारत जी महाराज योग निकेतन मुम्बई द्वारा हनुमान जयन्ती के उपलक्ष्य में विशाला भंडारा का आयोजन किया गया था था। इसके बाद अब भारत महाराज बनारस की ओर रूख कर रहे हैं। श्री भारत महाराज ४ मई से बनारस के द्वारिका धीश मन्दिर के अस्सी घाट में विशाल भंडारा कर रहे हैं। श्री भारत महाराज ने बताया कि३ मई को अखंड रामायण सुबह १० बजे से शुरू हो जायेगी । इसके बाद दूसरे दिन पूर्णाहुति है, और इसके बाद विशाल भंडारा का आयोजन किया जायेगा। साथ ही संतो का समागम किया जायेगा। योग निकेतन की ओर से सभी देश वशियों से विनम्र निवेदन है कि अधिक से अधिक लोग पहुँच कर भंडारे को सफल बनायें। ये आयोजन ४ मई से ९ मई तक चलेगा। जिसमे सुबह ८ बजे से ११ बजे तक भारत महाराज के दर्शन पा सकते हैं। इसके बाद सायं ४ बजे से ६ बजे तक दर्शन कर सकते हैं। इस दर्शन में सभी भक्त गण अपनी समस्याओं का समाधान भारत महाराज से ले सकते हैं।
ये भंडारा योग निकेतन के द्वारा पिछले १० सालों से किया जा रहा है। जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं। श्री भारत महाराज के विषय में जितना भी लिखा जाए वो कम है। महाराज के पास कई इसेमरीज़ आये जिन्हें डाक्टरों ने जवाब दे दिया। और वो महाराज के आशीर्वाद से घोडे कि तरह दौड़ कर घर जाते है। आज महाराज कैंसर , लकवा , मिर्गी आदि घातक बीमारियों को बिना किसी दवा के आशीर्वाद देकर ठीक कर देते हैं। आज महाराज के आश्रम में डाक्टरों के द्वारा जवाब दिए गए मरीज रात दिन काम कर रहे है। श्री भारत महाराज का आश्रम मुम्बई के जोगेश्वरी इलाके में रेल वे कालोनी में है, जहाँ हर दिन हजारों कि तादाद में भक्त दरसन करते हैं। अब अगर आप भी किसी समस्या से परेशान हैं तो फ़िर देर किस बात कि। बिना किसी पैसे के निः शुल्क आशीर्वाद मिलता है। और समस्त प्रकार की बीमारियाँ जड़ से दूर हो जाती हैं.