Tuesday, April 8, 2014

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यूं तो कभी विवादों से मुक्त नहीं रही लेकिन भारत के चुनाव आयोग ने हमेशा इसे सुरक्षित और सही माना। भारत की जनता भी चुनाव आयोग से सहमत है। यदा-कदा राजनेता चुनावों में ईवीएम के खिलाफ बोलते रहे हैं लेकिन किसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी ने इसके खिलाफ कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है।

हर ईवीएम के दो हिस्से होते हैं। एक हिस्सा होता है बैलेटिंग यूनिट जो कि जो मतदाताओं के लिए होता है। दूसरा होता है कंट्रोल यूनिट जो कि पोलिंग अफसरों के लिए होता है। ईवीएम के दोंनो हिस्से एक पांच मीटर लंबे तार से जुड़े रहते हैं। बैलेट यूनिट ऐसी जगह रखी होती जहां कोई वोटर को वोट डालते समय देख ना सके।

इसके अलावा संवेदनशील पोलिंग बूथ पर वोटिंग का सीधा प्रसारण होता है जो कि कहीं से भी देखा जा सकता है। ईवीएम पर अधिकतम 64 प्रत्याशी तक दर्शाए जा सकते हैं। किसी लोकसभा क्षेत्र में 64 से ज्यादा प्रत्याशी होने पर चुनाव आयोग कागज के बैलट का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य है।
ईवीएम अंदर से : 
1. मतदाता वाले हिस्से पर प्रत्याशियों के नाम और उनका क्रमांक या सीरियल नंबर लिखा होता है। नाम एक दो या तीन भाषाओँ में लिखे जाते हैं। जिस इलाके में जो भाषा प्रचलित है उस भाषा का इस्तेमाल होता है। नाम के साथ ही प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह भी होता है। चुनाव चिन्ह उन वोटरों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं जो पढ़ लिख नहीं सकते। चुनाव चिन्हों को लेकर चुनाव आयोग के नियम बेहद सख्त है। मसलन कोई भी प्रत्याशी या पार्टी 'सूअर' या 'नोट की गड्डी' के चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ सकता।

एक ही नाम के एक से ज्यादा उमीदवार होने पर नाम के आगे ब्रैकेट में उम्मीदवार के घर या पेशे के बारे में लिखा जाता है ताकी मतदाता चकराए ना। पहली बार हर ईवीएम में अंतिम बटन नोटा या ऊपर दिए नामों में से कोई नहीं ही होगा।

2. नाम के आगे एक नीला बटन होता है जो वोट देने के लिए दबाया जाता है। जिस खाते में वोट दर्ज हुआ है उस नाम के सामने लगी एक छोटी सी बत्ती भी चमक उठती है। नंबर पहली बार हर ईवीएम पर ब्रेल में नीले बटन के ही बगल में ब्रेल लिपि में उम्मीदवार का सीरियल नंबर लिखा गया है। जो नेत्रहीन उमीदवार ब्रेल नहीं जानते वो अपने साथ किसी सहायक को ले जा सकते हैं।

3. कंट्रोल यूनिट : जहां वोट दरअसल दर्ज होते हैं। ईवीएम का यह हिस्सा पोलिंग ऑफिसर के पास होता है। किसी भी वोटर के वोट देने के पहले पोलिंग ऑफिसर बैलट बटन दबा कर मशीन को वोट दर्ज करने के लिए तैयार करता है। बैलट बटन के ऊपर एक ढक्कन के अंदर तीन बटन बंद होते हैं। पहला होता है 'क्लोज' का। इस बटन को दबाने के बाद मशीन नए वोट दर्ज करना पूरी तरह से बंद कर देती है।

ये बटन केवल एक ही बार दबाया जा सकता है। इस बटन को या तो वोटिंग खत्म होने के बाद शाम को या फिर बूथ कैप्चरिंग की हालत में दबाया जा सकता है।
क्लोज के बटन के बगल में एक अलग खाने में दो बटन होते हैं जो वोटों की गिनती के वक्त हर प्रत्याशी को मिले मिले वोटों की संख्या बताते है। इन परिणामों का प्रिंट आउट भी लिया जाता है और ये परिणाम बैलट यूनिट के ऊपर लगी एक स्क्रीन पर भी देखे जा सकते हैं।
बैलट यूनिट में बटन वाले हिस्से के ऊपर ढक्कन के अंदर छह वोल्ट की अल्कलाइन बैटरी बंद होती है जिसकी मदद से ईवीएम उन इलाकों में भी काम करती हैं जहां बिजली नहीं होती। हर बैलट बटन के पास एक स्पीकर भी होता है जो की हर वोट के सही ढ़ंग से दर्ज होने के बाद तेज आवाज करता है।

मशीन के साथ छेड़छाड़ और सुरक्षा कैसे,

4.चुनाव आयोग ये दावा कभी नहीं करता की इस मशीन के अंदर मौजूद सॉफ्टवेयर के साथ छेड़-छाड़ नहीं की जा सकती। लेकिन चुनाव आयोग ये दावा जरूर करता है कि छेड़-छाड़ करने के लिए ईवीएम किसी के हाथ में नहीं लग सकतीं। चुनाव आयोग का कहना है कि इस मशीन को पूरी प्रक्रिया सुरक्षित बनाती है ना की केवल कोई एक पुर्जा।

सुरक्षा के इंतजाम : 

वोटिंग के पहले और बाद में हर मशीन को कड़ी निगरानी में कैद रखा जाता है। वोट डलने के बाद शाम को कई लोगों की मौजूदगी में पोलिंग ऑफिसर इस मशीन को सील बंद करता है। हर वोटिंग मशीन को एक खास कागज से सील जाता है। ये कागज करंसी नोट की तरह ही खास तौर पर बने होते हैं। करंसी नोट की ही तरह हर कागज़ के ऊपर एक खास नंबर होता है।
कई लोग सवाल करते हैं कि जब करंसी नोट नकली बन सकते हैं तो ये कागज क्यों नहीं। ये विशेष कागज सुरक्षा की अंतिम कड़ी नहीं होते। इन कागजों से सील करने के बाद भी इस मशीन को एक सैकड़ों साल पुराने तरीके से सील किया जाता है। हर मशीन के परिणाम वाले हिस्से में एक छेद होता है जिसे धागे के मदद से बंद किया जाता है और उसके बाद उसे कागज और गर्म लाख से एक खास पीतल की सील लगा कर बंद किया जाता है।
सील करने के बाद हर पोलिंग मशीन को किसी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की तरह की सुरक्षा के घेरे में मतगणना केंद्र तक लाया जाता है। मतगणना केन्द्रों पर हर मशीन मई 16 तक कड़े पहरे में रहेगी। मई 16 को एक साथ सुबह 6 बजे पूरे देश में वोटों की गिनती होगी।

ईवीएम : कुछ रोचक तथ्य :

* 2004 के आम चुनावों में पहली बार पूरे भारत के वोटरों ने ईवीएम के जरिये वोट डाले थे।
* ईवीएम इस तरह से बनाई गई है कि बिना पढ़े-लिखे वोटर भी चुनाव चिन्ह के आगे लगे बटन को दबा कर वोट डाल सकें।
* हर ईवीएम के अंदर एक छह वोल्ट की अल्कलाइन बैटरी होती है जो बिजली ना होने पर भी मशीन को चालू रखती है।
* एक ईवीएम अधिकतम 3840 वोट दर्ज कर सकती है. सामान्यतः किसी भी पोलिंग बूथ पर 1500 से अधिक वोटर नहीं होते।
* ईवीएम पर अधिकतम 64 प्रत्याशी तक दर्शाए जा सकते हैं।
* किसी लोकसभा क्षेत्र में 64 से ज्यादा प्रत्याशी होने पर चुनाव आयोग कागज के बैलट का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य है।
* पहली बार हर ईवीएम में अंतिम बटन 'नोटा' या 'ऊपर दिए नामों में से को कोई नहीं' ही होगा।

* ईवीएम के अंदर 10 सालों तक परिणामों को सुरक्षित रखा जा सकता है।