Monday, June 12, 2017

पाक बर्बादी की कगार पर....


पाक बर्बादी की कगार पर....

काश्मीर को पाने की "लालसा" पाकिस्तान का कहीं "अस्तित्व" ही ना खत्म कर दे। और यह काम भारत नहीं करेगा , बल्कि उसका परम हितैषी "मित्र" चीन करेगा। अब आपके मन में सवाल पैदा होगा.....................

आखिर क्यों? कैसे? और कब करेगा

तो पहले "क्यों" का जवाब है , ये "वजह" ...पाकिस्तान का भारत के प्रति जुनून के हद तक "नफरत" और काश्मीर नाम का "रक्त" जो उसकी शिराओं में बह रहा है ।
 मैंने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा था कि पाकिस्तान अपने अस्तित्व के रहने तक वह काश्मीर को नहीं भूलेगा ...तो इसे पाने के लिए वह चीन की मदद ले रहा है जो भारत का भी शत्रु है। 
 चीन भी पाकिस्तान के इस "बीमार" मानसिकता को भलीभाँति समझ चुका है ,... यानी उसकी कमजोर नब्ज को पकड़ लिया है। आप जानते हैं कि चीन एक महाशक्ति बन चुका है । चीन की विस्तार वादी नीति अपने देश की सीमा को हर वक्त बढ़ते हुए देखना चाहती है। चीन जहाँ एक तरफ भारत के पूर्वोत्तर इलाकों पर गीद्ध की तरह निगाहें रखता है .. वहीं वो सालों पहले काश्मीर का हिस्सा (अक्साइचीन) हड़प लिया ....जबकि पाकिस्तान ने भी अपने कब्जे वाले हिस्से का कुछ भाग चीन को दान कर दिया। 

 अब उसकी निगाह पूरे पाकिस्तान को "हड़पने" पर लगी हुई है।............अब देखिए कि चीन कर क्या रहा है?....
यह तो सर्वविदित है कि पाकिस्तान के उपर आतंकवादी देश होने का "लेबल" चिपक गया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उसे शक की निगाह से देखता है । वहाँ के शासन का बागडोर किसके हाथ में है कुछ पता नहीं चलता। चुनी हुई सरकार , सेना एवं आई एस आई ये तीनों ही अपने-अपने हिसाब से देश को चला रही हैं। अर्थव्यवस्था चौपट है...विदेशी खैरात पर इकोनोमी टीकी हुई है....रक्षा बजट पर खर्च भी भारत से ज्यादा खर्च करना है , तो...ऐसे में वो चीन का दामन थाम चुका है । चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भरा पड़ा है..वहीं पाकिस्तान का खाली है। तो अब चीन अपने ड्रेगन के पेट में यूआन और डालर भर भर कर पाकिस्तान के उपर अपने विशाल मुँह से बारिश कर रहा है। 

ठीक यही काम उसने सालों पहले उत्तर कोरिया के साथ भी किया था। क्या हुआ उसका हाल ??....बरबाद कर दिया चीन ने उसे । जरा सोचें....जब कोरिया दो हिस्से में बँटा था साउथ एवं नार्थ कोरिया में ......तो दोनों नवनिर्मित देश क्षेत्रफल एवं संसाधनों की दृष्टि से एक समान थे। आज साउथ कोरिया का जीडीपी 46000 अरब रुपए का है वहीं नार्थ कोरिया का मात्र 1650 अरब रुपए का । ये चीन की दोस्ती का नतीजा है। बाकी का कसर किम जोंग के बाप ने एवं अब वो खुद पूरा कर रहा है। ....एक दिन यही चीन का ड्रेगन पूरे पाकिस्तान को निगल जाएगा।

 अब देखिए चीन एक ऐसी महाशक्ति बन चुका है कि वो अमेरिका को भी आँखें दिखा सकता है। साउथ चाइना सी में अपनी धमक दिखा चुका है......अब वो अरब सागर एवं हिन्द महासागर में भी दिखाना चाहता है। पाकिस्तान के बलुचीस्तान के ग्वादर में एक पोर्ट बना रहा है। अपने देश के शिनजियांग से ग्वादर पोर्ट तक वह एक इकोनोमिक कारीडोर बना रहा है। इसकी सुरक्षा के लिए वो एक विशेष सुरक्षा बल तैनात किया है। पीओके में इकोनोमीक जोन बना रहा है अपनी इंडस्ट्रीज लगा रहा है , ..वहाँ भी अपने तीन हजार सैनिकों की तैनाती किया है। .........फिर, गिलगीट-बल्तिस्तान में भी कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनमें बाँध , बिजली परियोजनाएँ शामिल हैं...उनकी सुरक्षा में भी अपने हजारों सैनिकों की तैनाती किया है। कराँची मे दो परमाणु रिएक्टर लगा रहा है , जो कितना सुरक्षित या असुरक्षित है अभी उसे भी नहीं पता है ...तो उसकी सुरक्षा के लिए भी सैकड़ों सैनिकों को लगाया है।
 अपनी सारी योजनाओं को निर्बाध रूप से पूरा करने के लिए वो वहाँ के धार्मिक उन्मादी ग्रूपों से गठजोड़ कर लिया है। इसका नजारा अभी हाल में ही दिखा जब मुंबई हमले के मास्टर माइंड अजहर मसूद को क्लीन चीट देकर अपनी मंशा जता दिया है , जिसका विरोध भी भारत कर चुका है ।

पाकिस्तान अपने आप को "सरेंडर" कर चुका है। चीन धीरे धीरे उसके परमाणु प्रतिष्ठान को अपने कब्जे में ले लेगा। बाद में वहाँ की राजनीति को भी हैंडल करने लगेगा....उसे पंगु बना देगा , पाकिस्तान उसके इशारे पर नाचेगा । पाकिस्तान की अपनी ताकत कुछ भी नहीं बचेगी क्योंकि तबतक चीन अपनी पूरी पैठ बना चुका होगा। ग्वादर पोर्ट में नौ सैनिक अड्डा बनाने की भी तैयारी कर दिया है । अमेरिका, चीन की किसी भी गतिविधियों का विरोध नहीं कर सकता क्योंकि चीन चाहे तो उसकी इकोनोमी को हिला सकता है। अतः अमेरिका उसके रास्ते से हट जाएगा। 
 कुछ सालों तक पाकिस्तान , चीन का एक "उपनिवेश" बना रहेगा ...बाद में चीन का नक्शा बदला जाएगा और पाकिस्तान विश्व के नक्शे से खत्म हो जाएगा । अब तक चीन का ड्रेगन पाकिस्तान को अपने पेट में निगल चुका होगा। आपके सामने उदाहरण ईस्ट इंडिया कंपनी का है। 

चीन का पूरे एशिया पर दबदबा होगा। 
 पर भारत पर उसका आंशिक असर ही पड़ेगा। उसकी वजह है भारत की तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था । चीन की अर्थव्यवस्था अब गिरने लगी है और भारत की बढ़ने लगी है। चीन को रोकने के लिए अमेरिका हर हाल में भारत को मजबूत बनाएगा। अभी हाल के दिनों में आपने देखा ही होगा कि कैसे भारत के प्रधानमंत्री विदेशों का दौरा करके अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को अपने पक्ष में करने लगे हैं ...एवं अमेरिकी संसद में बजने वाली तालियाँ इस बात की गवाही दे रही है। 

एशिया में चीन के टक्कर का देश सिर्फ भारत होगा। 

पाकिस्तान तो "गायब" हो ही चुका होगा। 

पर ऐसा क्यों हुआ?? तो वजह है काश्मीर ....वजह है भारत के प्रति पाकिस्तान का नफरत । 
 तो देखा आपने...पाकिस्तान का ये हश्र कराने वाला यही काश्मीर ही होगा। 
 पर क्या ये बातें पाकिस्तान नहीं जानता है ?
तो उत्तर है ...वो भी जानता है पर उसकी रगों में "काश्मीर" नाम का खून दौड़ रहा है। हाफ़िज़ सईद ने भी कहा है कि हम अपनी बर्बादी तक काश्मीर का पीछा नहीं छोड़ेंगे....

तो बहुत अच्छी बात है...वो बर्बादी अब ज्यादा दूर नहीं है...........।