Tuesday, January 29, 2019

कांग्रेस का गरीबी हटाओ से न्यूनतम आय तक का सफर


कांग्रेस का गरीबी हटाओ से न्यूनतम आय तक का सफर

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के युवराज ने अपनी दादी को याद करते हुए गरीबी हटाओ का संकल्प लिया। कांग्रेस अध्यक्ष जी पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि 1971 में दादी इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था। अब यदि कांग्रेस 2019 में सत्ता में आई तो सभी गरीबों को न्यूतम आय दी जायेगी।
अब जरूरत है इस न्यूनतम आय का गहराई से विश्लेषण करने की। तो सबसे पहले गरीबी हटाओ के समय देश से कितनी गरीबी हटी यह एक अलग शोध का विषय बन गया। हाँ गरीब जरूर हट गये। पिछले दस सालों में यूपीए के शासन काल में देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों को दिये जाने की वकालत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद की थी। अब संसाधनों पर पहला हक गरीबों को दिये जाने की बात कही जा रही है। अगर संसाधनों पर पहला हक गरीबों का होता तो आज युवराज को ये दिन न देखने पड़ते।
दूसरी सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात ये है कि, न्यूनतम आय के विषय में यूपीए के शासन काल में सबसे पहले लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टेंडिंग ने सुझाव दिया था। उन्होंने सुझाव दिया था यूनिवर्सल बेसिक इनकम का। इसके तहत हर गरीब को एक तयशुदा रकम दी जाती है। यूपीए के शासन के दौरान भी प्रफेसर गाय स्टैंडिंग ने सरकार को यह स्कीम लागू करने का सुझाव दिया था। प्रफेसर स्टैंडिंग के मुताबिक तब सरकार इसे लागू करने की हिम्मत नहीं कर सकी थी। यूनिवर्सल बेसिक इनकम यानी यूबीआई ही एमआईजी यानी मिनिमम इनकम गारंटी या न्यूनतम आय है।
यक्ष, अब प्रश्न यहां पर यह है कि जब इस योजना पर काम करने के लिए यूपीए के शासन काल में सुझाव आ गये थे। तब अर्थशास्त्री विशेषज्ञ प्रधानमंत्री देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों के लिए माला जप रहे थे। यदि उसी समय इसे लागू करने पर विचार करते तो शायद आज इस पर बहस नहीं होती।  
  1 फरवरी 2019 को एनडीए सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश होगा। चर्चा है कि इस बजट में सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) का ऐलान कर सकती है। हालांकि इस सुविधा के बदले में सरकार नागरिकों को दी जाने वाली सब्सिडीज को बंद कर सकती है। पूर्व वित्तीय सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने साल 2016-17 के आर्थिक सर्वे में इस योजाना को लागू करने की सिफारिश की थी।

शिवराज सरकार के समय मध्य प्रदेश की एक पंचायत में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर ऐसी स्कीम को लागू किया गया था, जिसके बेहद सकारात्मक नतीजे आए थे। इंदौर के 8 गांवों की 6,000 की आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच इस स्कीम का प्रयोग किया। इसमें पुरुषों और महिलाओं को 500 और बच्चों को हर महीने 150 रुपये दिए गए। इन 5 सालों में इनमें अधिकतर ने इस स्कीम का लाभ मिलने के बाद अपनी आय बढ़ा ली। हाल ही में सिक्किम ने भी इस योजना को लागू करने का प्रस्ताव पेश किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों ही रुझान वाले अर्थशास्त्री यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम का समर्थन करते रहे हैं। भारत जैसे आय में सबसे ज्यादा असमानता वाले देशों के लिए यह स्कीम काफी मददगार साबित हो सकती है।

राहुल गांधी का एमआईजी यानी मिनिमम इनकम गारंटी या न्यूनतम आय कोई नया विचार नहीं है। मोदी सरकार ने आते ही इस पर काम करना शुरु कर दिया था। जिसे लागू करने के समय कांग्रेस के युवराज ने इसे लपक लिया। लेकिन उन्हें नहीं पता कि ये कड़ाही से उतर चुकी है। 24 घंटे अंग्रेजी में उल्टी, पल्टी करने वाले कांग्रेसी नेता भी इस योजना को हिंदी में लिख कर समझा रहे हैं। लेकिन यूबीआई योजना कांग्रेसियों को सत्ता से बाहर जाने के बाद समझ में आई। खैर कुछ भी हो देर आये दुरुस्त आये। योजना तो समझ में आई।