Wednesday, July 30, 2014

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसमें करीब 6000 स्टॉक्स लिस्टेड है, जिसमें 30 स्टॉक हैं। सेंसेक्स में शामिल शेयरों में बाजार पूँजी और ट्रेडिंग वॉल्यूम के मुताबिक बदलाव होता रहता है। बीएसई के शेयरों को A, B1, B2, C, F  और Z ग्रुप में बाँटा गया है। ए ग्रुप के शेयर वे हैं जिन्हें कैरी फारवर्ड सिस्टम यानी बदला में शामिल किया गया है। जेड ग्रुप के शेयर ब्लैक लिस्टेड कंपनियों के हैं। एफ ग्रुप फिक्स इन्कम सिक्यूरिटीज यानी डेट मार्केट का प्रतिनिध्व करता है।
सेंसेक्स की तरह बीएसई के कुछ और भी इंडेक्स हैं -----       
= BSE PSU
= BSE MIDCAP
=BSE SMALL CAP
=BSE BANKEX
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
1992 में जब हर्षद मेहता घोटाला सामने आया तो बाजार में उथल-पुथल हुई और हजारों निवेशक डूब गये । तब सरकार को एक ऐसे स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत हुई जो इन खामियों को दूर करे और पारदर्शी हो । इसी को देखते हुए 1992 में एनएसई की स्थापना हुई और इसे अप्रैल 1993 में स्टॉक एक्सचेंज का दर्जा मिला। जून 1994 में इस पर होल सेल डेट मार्केट में कारोबार शुरू हुआ । नवंबर 1994 में कैपिटल मार्केट सेगमेंट में भी कारोबार शुरू हो गया। जून 2000 में इस पर फ्यूचर एंड ऑपशंस में ट्रेडिंग शुरू हो गई ।
एनएसई में करीब 1500 कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं। एनएसई का प्राइमरी इंडेक्स S & P CN NIFTY शेयर है। एनएसई के ट्रेडिंग सिस्टम को नीट (NEAT) कहते हैं, जिसे नेशनल एक्सचेंज फॉर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग ( National Exchange for Automated Treading) कहते हैं।
रोलिंग सेटलमेंट साइकल –  इसमें हर ट्रेडिंग दिन को ट्रेडिंग पीरियड की तरह लिया जाता है और दिन हुए सौदों को टी+ 2 के आधार पर निपटाया जाता है। जैसे कि आज कोई सौदा हुआ है तो परसों उसका सैटलमेंट हो जायेगा । जैसे सोमवार को शेयर बेचे हैं तो बुधवार को उसके एकाउंट में पैसे जमा हो जायेंगे। इसी तरह किसी ने सोमवार को शेयर खरीदे हैं तो बुधवार को उसके डीमैट खातों में शेयरों की डिलीवरी हो जायेगी। इसमें छुट्टी का दिन शामिल नहीं किया जाता। BSE के लिए सोमवार से शुक्रवार और NSE के लिए बुधवार से मंगलवार सैटलमेंट सत्र होता है।
इंडेक्स(Index) – यह बाजार के दिशा का सूचक है। जो यह बताता है कि बाजार किस तरफ जा रहा है। बीएसई का सेंसेक्स और एनएसई का निफ्टी ही दो बड़े इंडेक्स हैं।
प्राइमरी मार्केट – जब कोई कंपनी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नये शेयर या डिबेंचर जारी करके सीधे निवेशकों से पैसा उगाही करती है तो इसे कहते हैं कि कंपनी प्राइमरी मार्केट से पैसा उगाह रही है।
सेकेंड्री मार्केट – आईपीओ (IPO) के बाद भी कोई कंपनी नये शेयर जारी करके प्राइमरी मार्केट से पैसा उठा सकती है । जब कोई कंपनी एक बार प्राइमरी मार्केट में IPO इश्यू करती है तो कंपनी लिस्टेड हो जाती है । फिर उसी खरीद-फरोख्त को सेकेंड्री मार्केट कहते हैं।
Remark – प्राइमरी मार्केट में कंपनी अपने शेयर सीधे निवेशकों को बेचती है जबकि सेकेंड्री मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बेचती है।
बाय टुडे सैल टुमारो – आज खरीदा है तो आप उसे अपनी इच्छा के मुताबिक डिलीवरी मिलने के बाद कभी भी बेच सकते हैं।
इंट्रा डे – खरीदी और बिक्री उसी दिन करनी होती है। 
राइट्स इश्यू – यह शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी के लिए अतिरिक्त पूँजी जुटाने के जरिया है। राइट्स इश्यू के तहत कंपनी आम निवेशकों के बजाय सिर्फ अपने शेयर धारकों को कंपनी अपने नये शेयर खरीदने का अधिकार देती है । शेयर धारकों के पास कंपनी के जितने शेयर होते हैं उसी अनुपात में उन्हें शेयर जारी किये जाते हैं।
डुअल लिस्टिंग – उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसके तहत कोई कंपनी दो अलग – अलग देशों के स्टॉक एक्सचोजों में खुद को सूचीबद्ध कराती है । जब दो देशों की दो कंपनियों के बीच कारोबार को लेकर समझौता होता है तो डुअल लिस्टिंग के जरिये दोनो ही देशों में इन कंपनियों के शेयर सूचीबद्ध बने रहते हैं।

वोलैटिलिटी (Voliatility) -  बाजार में पल – पल बदलते हवा के रूख को उठा पटक या वोलैटिलिटी कहा जाता है। यानी शेयर की कीमत में आने वाले बदलाव की दर...