वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में बजट पेश कर दिया है। इस बार बजट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। पर क्या आप जानते हैं कि बजय कैसे तैयार किया जाता है। आइए जानते हैं-
केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां तय करने का काम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का एक कोर ग्रुप करता है। इस कोर ग्रुप में प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के अधिकारी होते हैं। योजना आयोग के उपाध्यक्ष को भी इस ग्रुप में शामिल किया जाता है।
बजट पर वित्त मंत्रालय की नियमित बैठकों में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, बैंकिंग सचिव, संयुक्त सचिव (बजट) के अलावा केन्द्रीय सीमा एवं उत्पाद शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष हिस्सा लेते हैं। वित्तमंत्री को बजट पर मिलने वाले योजनाओं और खर्चों के सुझाव वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेज दिए जाते हैं जबकि टैक्स से जुड़े सारे सुझाव वित्त मंत्रालय की टैक्स रिसर्च यूनिट (टीआरयू) को भेजे जाते हैं।
इस यूनिट का प्रमुख एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी होता है. प्रस्तावों और सुझावों के अध्ययन के बाद यह यूनिट कोर ग्रुप को अपनी अनुशंसाएँ भेजती है।
पूरी बजट निर्माण प्रक्रिया के समन्वय का काम वित्त मंत्रालय का संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी करता है। बजट के निर्माण से लेकर बैठकों के समय तय करने और बजट की छपाई तक सारे कार्य इसी अधिकारी के ज़रिए होते हैं।
कैदखाने में तब्दील हो जाता है मंत्रालय
बजट पेश होने से दो दिन पहले वित्त मंत्रालय को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है। बजट निर्माण की प्रक्रिया को इतना गोपनीय रखा जाता है कि संसद में पेश होने तक इसकी किसी को भनक भी न लगे।
वित्त मंत्रालय दो दिन पहले पूरी तरह सील कर दिया जाता है। इस गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने के कुछ दिनों पहले से एक अघोषित 'क़ैदखाने' में तब्दील कर दिया जाता है।
बजट की छपाई से जुड़े कुछ कर्मचारियों को यहां पुलिस व सुरक्षा एजेंसियो के कड़े पहरे में दिन-रात रहना होता है.
बजट के दो दिन पहले तो नार्थ ब्लाक में वित्त मंत्रालय का हिस्सा तो पूरी तरह सील कर दिया जाता है। यह सब वित्त मंत्री के बजट भाषण के पूरा होने और वित्त विधेयक के रखे जाने के बाद ही समाप्त होता है।
बजट तैयारी के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं -
1.वित्त मंत्री का बजट भाषण
संसद में वित्त मंत्री का बजट भाषण अगले वर्ष के लिए सरकार की प्रस्तावित नीतियों का एक विस्तृत ब्यौरा होता है। यह भाषण बजट का दिशा निर्देशक कहा जा सकता है।
2.बजट का सार
लगभग 15 पृष्ठों के इस दस्तावेज़ को केन्द्र सरकार की बैलेंस-शीट कह सकते हैं। इसमें केन्द्र सरकार की आय, प्राप्तियों और खर्च का अनुमान होता है। केन्द्र सरकार का धन कहाँ से आता है और कहाँ जाता है, इसकी रूपरेखा इसी दस्तावेज़ में होती है।
3.केंद्र सरकार की अनुदान माँगें
इस दस्तावेज़ में भारत सरकार की समेकित निधि के द्वारा सभी मंत्रालयों और विभागों के खर्च का ब्यौरा होता है। प्रत्येक मांग में ज़्यादातर एक सेवा के लिए आवश्यक धनराशि दिखाई जाती है। अर्थात इसमें राजस्व खाते का व्यय और उस सेवा के लिए पूंजी खाते का व्यय (ऋण सहित) दिखाए जाते हैं।
4.व्यय बजट
यह केन्द्र सरकार के बजट का व्याख्यात्मक ज्ञापन है। इसके तीन भाग होते हैं। पहला सामान्य भाग, दूसरा आयोजना भिन्न-व्यय और तीसरा आयोजना परिव्यय।
5. प्राप्ति बजट
इस दस्तावेज़ के दो मुख्य भाग होते हैं. राजस्व प्राप्तियां और पूंजी। भाग 'ख' में बाजार ऋण, विदेशी सहायता, अल्प बचतें, सरकारी भविष्य निधियां, विभिन्न जमा खातों की संवृद्धियां तथा रेलवे जैसे विभागों की प्रारक्षित निधियां शामिल हैं। इसी भाग में केन्द्रीय करों और शुल्कों में राज्यों के हिस्से का राज्यवार विवरण दिया जाता है।
6. वित्त विधेयक
बजट के ज़रिए किए जाने वाले वित्तीय बदलावों की संसद से वित्त विधेयक के ज़रिए मंजूरी ली जाती है। इस विधेयक के पारित होने के बाद ही बजट पास माना जाता है। वित्त विधेयक के दूसरे खंड में इसका विस्तृत व्याख्यात्मक विवरण होता है।
7. अन्य दस्तावेज़
बजट के साथ पेश किए जाने वाले अन्य दस्तावेज़ों में पिछले वर्ष के लिए केन्द्र सरकार के सालाना वित्तीय विवरण पर एक संक्षिप्त ज्ञापन पेश किया जाता है। इस विवरण में पिछले वर्ष के बजट अनुमानों और वास्तविक व्यय व प्राप्तियों का ब्यौरा होता है।
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