घर की लक्ष्मी कौन?
एक बार गौतम बुद्ध अनाथपिंडक सेठ के घर पधारे। वे बातचीत कर ही रहे थे कि अंतःपुर में कलह होने की आवाज सुनाई दी। तथागत के उस संबंध में पूछने पर सेठ ने बताया कि वे अपनी बहू सुजाता के कारण बड़े परेशान हैं। वह बड़ी अभिमानिनी है, पति का अनादर करती है और हमारी अवज्ञा। इसी कारण घर में हमेशा कलह रहता है।
तथागत ने सेठ से बहू को भेजने को कहा। उसके आने पर उन्होंने उससे प्रश्न किया- 'बताओ भला, तुम वधिकसमा, चोरसमा, आर्यसमा, मातृसमा तथा भगिनीसमा इन पांच प्रकार की गृहिणियों में से कौन हो?'
सुजाता बोली- 'मैं इनका तात्पर्य समझी नहीं। कृपया स्पष्ट करें।'
तब तथागत बोले-
* 'जो गृहिणी हमेशा क्रोध करती रहती है, जिसका पति पर बिलकुल प्रेम नहीं होता, जो उसका अपमान करती है और परपुरुष पर मुग्ध होती है, वह ठीक एक हत्यारिणी के समान ती है और इसीलिए ऐसी स्त्रियों को 'वधिकसमा' कहा जाता है।
* जो अपने पति की संपत्ति का सदुपयोग नहीं करती, वरन् उसे चुराकर अपने उपभोग में लाती है वह 'चोरसमा' होती है।
* जो आलसी होती है बिलकुल काम नहीं करती, कर्कशा होती है तथा पति के सामने अपना बड़प्पन दिखाती है, वह 'आर्यसमा' होती है।
* जो हमेशा अपने पति का चिंतन करती है, अपने प्राणों से भी अधिक उसकी रक्षा करती है, वह 'मातृसमा' होती है।
* जो बहन के समान पति पर स्नेह करती है तथा लज्जापूर्वक उसका अनुगमन करती है, वह 'भगिनीसमा' होती है। तब बताओ भला, तुम इनमें से कौन हो?'
यह सुनते वह तथागत के चरणों में गिर पड़ी और बोली- 'भगवन् ! मुझे क्षमा करें। इनमें से मैं कौन हूं, यह बताने में मेरी वाणी असमर्थ है, किंतु आपको विश्वास दिलाती हूं कि आज से मैं अपने पति और बड़ों का आदर करूंगी तथा उनका जी नहीं दुखाऊंगी। आज से मैं अपने को घर की दासी मानकर ही जीवनयापन करूंगी।'
एक बार गौतम बुद्ध अनाथपिंडक सेठ के घर पधारे। वे बातचीत कर ही रहे थे कि अंतःपुर में कलह होने की आवाज सुनाई दी। तथागत के उस संबंध में पूछने पर सेठ ने बताया कि वे अपनी बहू सुजाता के कारण बड़े परेशान हैं। वह बड़ी अभिमानिनी है, पति का अनादर करती है और हमारी अवज्ञा। इसी कारण घर में हमेशा कलह रहता है।
तथागत ने सेठ से बहू को भेजने को कहा। उसके आने पर उन्होंने उससे प्रश्न किया- 'बताओ भला, तुम वधिकसमा, चोरसमा, आर्यसमा, मातृसमा तथा भगिनीसमा इन पांच प्रकार की गृहिणियों में से कौन हो?'
सुजाता बोली- 'मैं इनका तात्पर्य समझी नहीं। कृपया स्पष्ट करें।'
तब तथागत बोले-
* 'जो गृहिणी हमेशा क्रोध करती रहती है, जिसका पति पर बिलकुल प्रेम नहीं होता, जो उसका अपमान करती है और परपुरुष पर मुग्ध होती है, वह ठीक एक हत्यारिणी के समान ती है और इसीलिए ऐसी स्त्रियों को 'वधिकसमा' कहा जाता है।
* जो अपने पति की संपत्ति का सदुपयोग नहीं करती, वरन् उसे चुराकर अपने उपभोग में लाती है वह 'चोरसमा' होती है।
* जो आलसी होती है बिलकुल काम नहीं करती, कर्कशा होती है तथा पति के सामने अपना बड़प्पन दिखाती है, वह 'आर्यसमा' होती है।
* जो हमेशा अपने पति का चिंतन करती है, अपने प्राणों से भी अधिक उसकी रक्षा करती है, वह 'मातृसमा' होती है।
* जो बहन के समान पति पर स्नेह करती है तथा लज्जापूर्वक उसका अनुगमन करती है, वह 'भगिनीसमा' होती है। तब बताओ भला, तुम इनमें से कौन हो?'
यह सुनते वह तथागत के चरणों में गिर पड़ी और बोली- 'भगवन् ! मुझे क्षमा करें। इनमें से मैं कौन हूं, यह बताने में मेरी वाणी असमर्थ है, किंतु आपको विश्वास दिलाती हूं कि आज से मैं अपने पति और बड़ों का आदर करूंगी तथा उनका जी नहीं दुखाऊंगी। आज से मैं अपने को घर की दासी मानकर ही जीवनयापन करूंगी।'
No comments:
Post a Comment