मुम्बई मनपा शहर को साफ सुथरा बनने के लिए सालाना एक हज़ार करोड़ रुपये फूंकती है। लेकिन सफ़ाई के नाम पर स्वच्छ मुम्बई हरित मुम्बई का नारा केवल कचाडा धोने वाली गाड़ियों में मिलेगा। या फ़िर ज़बान में मिलेगा। रही सही कसार मुम्बई में कचाडा ढोने वाली गाडियाँ गंधने में काफी सहयोग कर रही हैं।
मुम्बई मनपा का घन कचाडा विभाग रोजाना ७५०० मीट्रिक तन कचाडा उठाने का कम करता है। छः हज़ार कलेक्शन सेंटरों में ४६६ गाडियाँ मनपाऔर ६७३ गाड़ियों के जरिये से कचाडा उठाना निजी ठेकेदारों की है। जिसे देवनार, मुलुंड गोरे के डंपिंग ग्रौंद में दोंप किया जाता है। मनपा के रेकॉर्ड में १८०० से १९०० किलोमीटर सडकों की सुरक्षा की जाती हैं। साल २००६ - ०७ के बज़टमें ८९८ करोड़ रुपये मनपा ने कचाडा उठाने के लिए प्रावधान किए हैं। मुम्बई मनपा के वार्ड कार्यालय के अंतर्गत सहायक अभियंता और मुख्य अवेक्षक वार्ड स्तिरीय स्वच्छ पर नियंत्रण रखते हैं। अब सवाल ये उठता हैं की इतनी बड़ी यंत्रणा इतनी मोटी रकम और इतना स्टॉक होते हुए आखिर मुम्बई क्यों बदबूदार हो रही हैं।
शहर और उपनगरों में कचाडा ढोकर दौड़ने वाली गाडियाँ अपनी बदबू से स्वच्छ मुम्बई गंधाती मुम्बई का नारा दे रहीं हैं। कचाडा गाड़ी के इर्द - गिर्द बस , कार , टैक्सी या रिक्शा खड़ा होते ही यात्रियों को अपना रुमाल निकालकर नाक पर रखना पड़ता है। सिग्नल पर ट्राफिक में कचाडा गाड़ी का पड़ोसी होना सबसे बैडलकमाना जाता हैं। यह हुयी मुम्बई वाहन चालकों की कहानी। सडकों पर चलने वाले भी इन कचाडा गाड़ियों से काफी परेशां हैं। ठंड हवाओं के बीच गाड़ी से निकलने वाली बदबू मौसम का किरकिरा कर देती है। मनपा कालेक्टिन सेंटर के आस - पास रहने वाले लोग दुकानदार अपनी किस्मत को कोसते हैं। सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल इन लोगों के लिए एक अमूल्य उपहार होती है।
मुम्बई मनपा के इसके अलावा दत्तक बस्ती योजना के जरिये स्वच्छता को बरकरार रखने का अलाप रागति है॥ पूरे शहर और उपनगर में २५० बस्ती संस्थाएं मनपा का ६० करोड़ रुपये सालाना दकारती हैं।और संस्थाये रोजी -रोटी कमती हैं। अधिकांश दत्तक बस्ती संस्थाये नगर सेवकों की प्राइवेट प्रापर्टी है, या फ़िर उनका कोई चमचा उसका संचालक है। " नया भिडू नया राज "के कारन नगर सेवक बदलते ही पुरानी संस्थाएं विश्र्जित होकर नयी संस्थायों का पुनर्जन्म होता है। मनापा अधिकारी, नगर सेवक और संस्था का त्रिगुट दिन दहाड़े लूटपाट कर रहा है। लेकिन उसकी ४० फीसदी से भी कम रकम उन मजदूरों को दी जाती है। जो १२ घंटे काम करते हैं। एकाध महीने पेमेंट मिलने पर देरी होने पर महापौर से लेकर नगर सेवक तक गुहार लगाती हैं। दत्तक बस्ती योजना के जरिये गली कूचे का कचाडा मनपा के कालेक्टों सेंटर तक लाया जाता है। और फ़िर मनपा उसे ढोकर डंपिंग ग्रौंद तक ले जाती है। यहाँ पर कचाडा ढोने का इतना विचित्र समय है की पूरी मुम्बई की जनता को पता चल जाता है की मुम्बई स्वच्छ हो रही है। क्योंकि कचाडा गाड़ी घंटों ट्राफिक जाम का कारन बनती है।
स्वच्छ मुम्बई सुंदर मुम्बई का नारा कागजों पर सिमटने से सडकों को स्वच्छ युक्त देखना किसी सपने से कम नहीं है। रोजाना कचाडा गाड़ियों से आने वाली बदबू से मुम्बई गंधने से रोकने के लिए कचाडा ढोने का समय निश्चित किया जाना चाहिए। नहीं टू स्वच्छ मुम्बई गंधाती मुम्बई का नारा लोगों की ज़बान रहेगा साथ ही ही दिलो दिमाग पर भी छाया रहेगा.....
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