१४ फरवरी यानी वेलेंटाइन डे आते ही प्रेमी जोड़ों के दिलों की घंटियाँ बजने लगती हैं। लेकिन इस बार बाघों के दिलों की घंटियाँ भी बजेगी । क्योंकि बाघों की तादाद बढ़ने के लिए केंद्र सरकार ने १४ फरवरी २०१० को " बाघ दिवस" कि शुरुआत करेगा। इसकी शुरुआत जिम कारबेट नेशनल पार्क से की जाएगी। इसका समापन नवम्बर २०१० में रणथम्भौर नॅशनल पार्क में होगा। ये आयोजन यह दर्शाएगा कि भारत बाघ सरंक्षण के मामले में क्या कर रहा हैं। दुनिया के वनों में ६० फ़ीसदी बाघ भारत में । दुनिया के किसी देश ने इतना व्यापक सरंक्षण कार्यक्रम नहीं लाया,जितना कि भारत ने चलाया हैं। वैश्विक स्तर पर बाघों के लिए पहल करने वाला विश्व बैंक भी भारत के प्रयास का समर्थन करना चाहता हैं।
दसवीं पञ्च वर्षीय योजना में सरकार ने २८ बाघ अभ्यारण्य को आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया था। जिसमें से ३७७६१ वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैले २८ बाघ अभ्यारण्यों को आर्थिक सहायता दी गयी हैं। इसी तरह ग्यारहवीं योजना में भी अभ्यारण्यों और राष्ट्रीयपार्कों को और विस्तृत करने के योजना राखी गयी हैं। वैसे तो भारत में बाघों के आबादी को बरकरार रखने के लिए केंद्र सरकार ने बाघ परियोजना १९७३ में शुरू की थी। और सरकार के तरफ से हमेशा बाघों के संख्या को बढ़ने पर जोर दिया जा रहा हैं। वैश्विक स्तर पर बाघों की हो रही तस्कारी पार भारत रोक लगाने का हर संभव प्रयास कर रहा हैं। वन्य जीवों के अवैध व्यापर को प्रभावी रूप से रोकने के लिए ६ जून २००७ से एक बहुउद्देशीय बाघ एवं अन्य संकटापन्न प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन किया गया हैं। जिसमें पुलिस, वन, कस्टम और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी शामिल हैं। और आठ नए बाघ रिजर्व घोषित करने के लिये सैन्धान्तिक रूप से अनुमति दे दी गयी हैं।
बाघ सरंक्षण से सम्बन्धित अंर्राष्ट्रीय मुद्दों के निपटारे के लिए बाघ रेंज देशों का एक ग्लोबल मंच बनाया गया हैं। साइट्स (सी.आई.टी.ई.एस।) के समर्थकों के सम्मलेन की १४वीन बैठक में ३ से १५ जून २००९ में हुयी थी। इस दौरान भारत ने चीन,नेपाल और रूसी संघ के साथ एक संकल्प प्रस्तुत किया। जिसमें वाणज्यिक पैमाने पर आप्रेसंस ब्रीडिंग बाघों के समर्थकों के लिए दिशा निर्देश जारी किये गए थे। इसके अलावा भारत ने हस्ताक्षेत करते हुए चीन से अपील की हैं कि बाघ फार्मिंग को चरणों में समाप्त किया जाए। और एशियाई बड़ी बिल्ल्यों के अंगों और उंसे बनाई गयी वस्तुओं के भण्डार को भी समाप्त किया जाए। बाघों के शरीर के अंगों के व्यापार पर रोक जारी रखने के लिए महत्वपूर्ण तरीके से भारत ने जोर दिया हैं।
आज देश में तकरीबन १५०० से २००० के आसपास बाघों के संख्या हैं। जो की बहुत कम हैं। क्योंकि पर्यावरण को संतुलन बनाये रखने के लिए जीव जंतुओं का रहना बहुत जरूरी हैं। शायद इसी लिए भारत सरकार का इस साल बाघों के प्रति प्यार जाग गया हैं। कि वेलेंटाइन डे का पूरा प्यार सरकार बाघों को देना चाहती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में हर दिन हर समय प्रेम दिवस बना रहता हैं। लिहाजा सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए आप भी मनाइए बाघ दिवस।
No comments:
Post a Comment