Friday, January 29, 2010

प्यार पर व्यापर

दिल की धड़कन तेज हो गयी। और दिल में समाये हुए अरमानों को इज़हार करने का वक्त भी आ रहा है। जी हाँ वेलेंटाइन डे यानी प्रेम दिवस। वैसे तो वेलेंटाइन डे का इतिहास काफी पुराना हैं। लेकिन भारत में १६५ साल पहले हमने वेलेंटाइन डे का नाम सुना ये जानकार आपको भी आश्चर्य होगा कि मसूरी के एक अंग्रेज ने अपनी बहन को लिखे ख़त में वेलेंटाइन डे का जिक्र किया था। और वेलेंटाइन डे नाम से ये भारत में लिखा गया पहला ख़त था। यानी पहला वेलेंटाइन डे ख़त मसूरी से चला था। इस ख़त में उन्होंने खुलकर अपनी जीवन संगिनी के साथ प्रेम के सुखद अहसास का अपनी बहन से जिक्र किया था। और ये ख़त लाल रंग के पेपर में लिखा गया था। यानी प्यार के लिए लाल और गुलाबी रंग को ही चुना जाता हैं। और लाल गुलाब के फूल को वरीयता दी जाती हैं। प्यार क्या देता हैं? क्या लेता हैं? इश्क लड़ने वाले आग की दरिया में डूबकर निकल जाना चाहते हैं.लैला मजनू का प्यार.हीर रांझा के किसी और मुमताज महल शाहजहाँ के प्यार की मिसाल आज भी कायम हैं। प्यार के दीवानों ने नए आयाम भी दिए हैं। गुरुत्वाकर्षण की खोज करने वाले न्यूटन ने प्यार - प्यार में आविष्कार कर दिया। नोबेल पुरस्कार प्राप्त मेरी क्यूरी और पियरे क्यूरी की कहानी भी कुछ ऐसी ही हैं। यानी जब प्यार का रसायन उफान मरता हैं तो तो केमेस्ट्री लैब भी स्वप्न वाटिका बन जाती हैं। और दो दिलों को जोड़ने वाले इस प्रेम दिवस में जोड़ों को देखकर यही लगता हैं कि प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।
लेकिन जैसे जैसे प्रेम दिवस की उम्र बढ़ती जा रही हैं वैसे वैसे प्यार का व्यापार भारत में खूब फल फूल रहा हैं.प्यार का त्यौहार आने के पहले से ही प्रेमी जोड़े ताने बाने बुनना शुरू कर देते हैं। सात समंदर पार से मिले इस उपहार को भारतीय बाज़ार भी ढंग से भुनाते हैं।लेकिन अगर विदेशी बाज़ार में नज़र दौडाए तो एक अनुमान के मुताबिक वेलेंटाइन डे के अवसर पर भारतीय मुद्रा के अनुसार तकरीबन १५०० करोड़ रुपये में कार्ड और गिफ्ट का कारोबार होता हैं। इसमें ६२ फ़ीसदी पुरुष और ४४ फ़ीसदी महिलाएं उपहार खरीदती हैं। औसतन अमेरिकी पुरुष १०० डालर तो अमेरिकी महिलाएं ६० डालर खर्च करती हैं.प्यार का ये बोलबाला हिन्दुस्तान की जमीं पर सर चढ़कर बोलता हैं। और इस साल प्यार का सेंसेक्स भारत में ५५०० करोड़ रुपये के पार पहुँचाने की उम्मीद हैं। यानी गिफ्ट आइटमों के बाज़ार का आकार बढ़ गया हैं। लेकिन संत वेलेंटाइन की उम्र जीतनी बढ़ती जा रही हैं,उतना ही प्यार हाई टेक होता जा रहा हैं। यानी अब दिल की धड़कन टेक्नोलोजी के जरिये भेजी जाती हैं। साफ़ तौर पर जाहिर हैं,प्यार का बुखार बढ़ने के साथ साथ व्यापर भी फल फूल रहा हैं। और जानकारों का मानना हैं कि ३० फ़ीसदी सालाना की दर से कारोबार बढ़ रहा हैं। यानी एक दिन ऐसा आयेगा कि हम इस बात के आंकड़े निकालेंगे कि प्यार के दिन हमने कितना व्यापर किया। फिर वह व्यापर हमारी इकोनामी से जोड़ा जाएगा। फिर उसका अनुपात यानी रेसियों निकला जाएगा।और कहा जाएगा कि जी.डी.पी में इतने फ़ीसदी का योगदान हैं। अब आप भी आंकलन कीजिये कोई वेलेंटाइन डे हमारी देश की जी.डी.पी। में बढ़ोत्तरी करता हैं तो फिर आखिर उसका विरोध क्यों?

1 comment:

jay said...

Bahut achha likha hai valentine day ko desh ki aarthik economy se jodane ka tarika pasand aaya.