Saturday, April 12, 2008

आरक्षण की मारामारी

सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं की बात को जायज ठहराते हुए फ़िर से २७ फीसदी आरक्षण पिछड़ी जाती को दे दिया है। नेता तों खुश हो गए। चलो फ़िर से कुछ झुनझुना मिल गया बजाने के लिए । लेकिन इन नेताओं को समझाना होगा की आरक्षण एक बशाखी है , पाँव नहीं , जिसे हमेश के लिए लगा दिया जाए। बशाखी का सहारा देकर ऊपर लाओ लेकिन बशाखी बाद मे हटा दो जिससे वो अपने दम पर आ सके । लेकिन जहाँ तक मेरा सवाल है आरक्षण प्रायमरी से ही मिलाना चाहिए। क्योंकि जब प्रायमरी में नहीं देंगे तों ऊपर तक पहुंचेगा कौन क्रिमिलयेर को आरक्षण से अलग रखा गया है। इससे जरूर गरीब तबके को फायदा होगा। लेकिन अगर इसका दूसरा पहलू देखा जाए तों सरकार जड़ों के बजाये पत्तों को पानी दे रही है। पाती सींचने से देश की उद्धार होने वाला नहीं है। जड़ मे पानी दो जिससे आम आदमी को इसका फायदा मिले।

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