आई पी एल मंडी का क्रिकेट १८ से ...
आई पी एल का संग्राम १८ अप्रैल से शुरू हो रहा है। आई पी एल का मंडी में सभी खिलाड़ी मैदान मरने की तैयारी में जुट गए हैं। आई पी एल की पैदाइश है। बीसीसीआई ने जिस तरह के हथ्कोंदे अपनाए, उसने मिटटी को भी सोना बनाया है। और उसे सोना के भाव में बेंचा भी है। पहले तो आई पी एल का बाज़ार सजाया । जाने माने कारोबारियों ने पानी की तरह पैसा बहाया । जिन्होंने कभी कारोबार नहीं किया उन्होंने भी हाँथ साफ कराने की कोशिश की है। खिलाड़ियों की बोली लगी । और कंपनी चहेते खिलाड़ियों के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। इसके बाद सभी कंपनियों ने ताम झाम के साथ टीम लॉन्च की। कोई कसार न रह जाए इसके लिए ब्रांड एम्बेसडर भी बनाये गए। खिलाड़ियों और दर्शकों के मनोरंजन के लिया सरे बंदोबस्त किए गए हैं। खिलाड़ियों की बोली के समय से ही कंपनियों का बोलबाला शुरू हो गया था। इस बोली में सबसे महंगे थे धोनी। जिन्हें चेन्नई की टीम ने छह करोड़ रुपये में ख़रीदा। इस बोली में भारत के ३३ खिलाड़ी शामिल हैं। आस्ट्रेलिया के १३ दक्षिण अफ्रीका के ११, पाक के ८, श्रीलंका के ९, न्यूजीलैंड के ६, वेस्ट इंडीज़ के ३ और बंगलादेश के २ खिलाड़ी शामिल हैं। जबकि जहाँ क्रिकेट पैदा हुआ है यानी इंग्लैंड के अक भी खिलाड़ी शामिल नहीं हुए हैं। इसमें आई कान खिलाड़ियों को भी दर्जा भी दिया गया है। और ये दर्जा मिला है सचिन, सौरव, राहुल, युवराज और वीरेंद्र को। और अब ललित मोदी की जादू १८ अप्रैल से शुरू हो रहा है। जो की १ जून २००८ की ख़त्म हो रहा है।
अब अगर विचार करें तो आई सी एल के खुन्नस के कारन ही आईपीएल को बीसीसीआई ने पैदा किया है। और बीसीसीआई के रंग के आगे आई सी एल फींका पड़ गया है। और दे दनादन , दनादन चल रहा है। इस आईपीएल से जहाँ देश में छिपी प्रतिभा को इंटरनेशनल खिलाड़ियों के साथ हुनर दिखाने मौका मिलेगा। तो वहीं सबसे बड़ी बात उभरकर सामने ये आरही है की जिनके ऊपर नस्लवाद का आरोप लगता था , और जो मढ़ते थे वो सब एक ही थाली में खाएँगेयानी एक साथ जब मैदान में उतरेंगे .तो जिस तरह की गलतफहमियां पैदा हो चुकी थी । हो सकता है उन्हें पटने का मौका मिल जाएँ। और सबको एक ही धागे में बांधकर तू दिखा हुनर ......
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