देश के नजरिये से अगर इस दौर में सरकार को परिभाषित किया जाये तो पहले देश बेचना, फिर देश की फिक्र करना और अब फिक्र करते हुये देश को अपनी अंगुलियो पर नचाना ही सरकार का राजनीतिक हुनर है।
Saturday, April 26, 2008
भज्जी का थप्पड़ जग जाहिर
मोहाली में मैच चल रहा था , एक तरफ़ मुम्बई की टीम तो दूसरी तरफ़ पंजाब की टीम। दोनों टीम को जीत का खाता खोलना था । किसी ना किसी का खाता खुलना था। खाता खोल दिया पंजाब की टीम ने , बस फ़िर क्या था। अम्बानी टीम के कैप्टन यानी मुम्बई टीम हरभजन हार नहीं झेल सके , और श्री शांत को एक थप्पड़ रसीद कर दिया। बस फ़िर क्या था , जिसकी मैदान में कभी तूती बोलती थी । वो फूट -फूट कर रोने लगा । आँखों से आंसू छलकने लगे , आंसू थामने का नाम नहीं ले रहे थे। साथी खिलाड़ी आंसू पोंछने लगे, लेकिन जख्म इतने गहरे थे , की थामने वाले ही नहीं थे। पहले तो शांत के आंसू देखर यही लगा कि खुशी के आंसू हैं, लेकिन खुशी के आंसू और गम के आंसुओं में फर्क जल्द ही पता चल गया । रही सही कसर युवराज ने पूरी कर दी और जो बताया उसे सुनकर सबकी ऑंखें फटी कि फटी रह गयी। और युवराज ने ही खुलासा किया कि हरभजन ने थप्पड़ mara है । मामले को देखते हुए हरभजन ने kshama भी मांगी । लेकिन क्या IPL में anushaashan khatm हो गया है। जब हार नहीं hazam नहीं हुई तो थप्पड़ मारकर आत्म शान्ति pahunchaa रहे हो। khel को khel कि भावना से khelanaa चाहिए । ये श्री शांत पर थप्पड़ नहीं बल्कि IPL पे थप्पड़ है। अगर kahin bahar होता तो क्या होता । बाद में फ़िर उसी तरह के केस का samna करते । BCCI ने तो gambheer mamala बताया है, और कुछ ना कुछ hal nikalane का ashwashan दिया है। लेकिन क्या भज्जी को थप्पड़ maarane पर जीत मिल गई है ? हम aapas में ही ulajhana chahate हैं। लेकिन भज्जी ने जो कुछ bhee किया वो khel भावना को darkinaar करके उसने किया । filhaal kings elevan ने मैच refari से shikayat भज्जी के khilaf darz kara दी है।
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